दोस्तों जैसा की आप जानते पूरी दुनिया में हर रोज़ कोरोना के संक्रमण के कारण हज़ारों मौतें हो रही है। इस बीच पूरी दुनिया में एक खबर (Is Corona Virus spread from 5G network ) सोशल मीडिया के जरिये बहुत तेजी से फैल रही है। क्या 5G नेटवर्क के जरिये से कोरोना वायरस फैला है।
इस खबर में बताया गया है कि 5जी नेटवर्क के जरिये कोरोना बीमारी फैल रही है। क्या इसकी टेक्नोलॉजी के वजह से लोग सड़कों पर वेहोश हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार नबंबर 2019 में 5G टेक्नोलॉजी को चीन में टेस्टिंग के लिए लांच किया गया।
उसी समय पर चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित पहला केस सामने आता है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर इंटरनेट के जरिये ये न्यूज़ बहुत तेजी से वायरल होती है। जहाँ पर 5g टेक्नोलॉजी से कोरोना वायरस फैलने का दावा किया जाता है। क्या 5g टेक्नोलॉजी के कारण कोरोना वायरस फैल रहा है। चलिए जानते हैं इस वायरल न्यूज़ (Is Corona Virus spread from 5G network) में कितनी सच्चाई है।
क्या 5G की वजह से कोरोना वायरस फैला है?
अगर आपके मन में भी ये सवाल है तब हम आपको बता दें 5-जी तकनीक से कोरोना वायरस फैलने की वायरल न्यूज़ एक दम फेक और वकवास है क्योकि वैज्ञानिकों ने इस बात को नाकारा है। एक रिपोर्ट के अनुसार एनएचएस इंग्लैंड के मेडिकल डायरेक्टर स्टीफन पविस ने 5G टेक्नॉलजी से वायरस फैलने की न्यूज़ को एक गलत बताया है। जिसे आप WHO की वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।
5g टेक्नॉलजी से कोरोना फैलने की वजह से पहले 5g के बारे में पूर्ण जानकरी होना जरुरी है। इस बात का जानना इसलिए बेहद जरुरी है क्योकि टावर से निकलने वाली रेडिएशन से मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पढ़ सकता है। चलिए जानते हैं –
रेडिएशन क्या है?
रेडिएशन की बात करें तो ये दो तरह की होती हैं।
- X-Rays, Gama- Rays , UV Rays से निकलने वाली रेडिएशन Ionizing रेडिएशन होती हैं। जो हमारी सेहत के लिए बहुत खतरनाक होती है।
- मोबाइल फ़ोन और मोबाइल नेटवर्क टावर से निकलने वाली रेडिएशन non ionizing रेडिएशन होती हैं। जिन्हे रेडियो वेव्स भी कहते हैं
- मोबाइल फ़ोन और मोबाइल नेटवर्क टावर से निकलने वाली रेडिएशन non ionizing रेडिएशन होती हैं।
- जो हमारी सेहत के लिए इतनी खतरनाक नहीं होती है। जिसे आप WHO की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
- अगर ये रेडिएशन हमारी बॉडी पर एक्सट्रीमली पावर फुल सोर्स से डायरेक्टली कांटेक्ट हो रही तब ये हमारे लिए हार्मफुल होती हैं।
5-जी टेक्नोलॉजी व अन्य मोबाइल नेटवर्क में उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में कम फ्रीक्वेंसी वाली तरंगें होती हैं। यह प्रकाश की तुलना में कम शक्तिशाली होती हैं जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाती।
एडम फिन के कथन के अनुसार, “कोरोना वायरस जो एक महामारी का रूप ले चूका है ये वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। इस वायरस को 5-जी तकनीक की मदद से ट्रांसमिट नहीं किया जा सकता। इस तरह से हम ये साफ साफ जान सकते हैं कि 5 G टेक्नोलॉजी का कोरोना वायरस से कोई लेना देना नहीं है।
कोरोना वायरस की पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।
कोरोना वायरस किसी जीवित कोशिका के बाहर लंबे समय तक नहीं रह पाता है। ये वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के खाँसने और छींकने पर निकले ड्रॉपलेट्स के जरिये से दूसरों लोगों तक पहुंच जाता हैं। जहाँ पर ये वायरस इंसान और जानवरों की कोशिकाओं में प्रवेश करने के बाद खुद व खुद अपनी संख्या को बढ़ाता है, जो इन्फेक्शन का कारण होता है।
दोस्तों उम्मीद है, हमारे द्वारा दी गयी जानकरी आपको पसंद आयी होगी और आप इस वायरल (Is corona Virus spread from 5G network) न्यूज़ की सच्चाई जान गए होंगे। किसी भी फेक न्यूज़ को शेयर न करें और ऐसी न्यूज़ पर विशवास न करें। सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। इस लॉक डाउन में घर पर ही रहें , सुरक्षित रहे।